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Friday, 13 September 2024

श्री गणेश मंदिर गणपतपुरा (गणपति पूरा) स्वयंभू गणेश कोठ गाव में है जो अहमदाबाद के नजदीक गुजरात में स्थित है

गणपतपूरा और गणपतिपूरा जो कोठ गाव में गणपतिदादा का भव्य मंदिर बना है |गणपतिपूरा अहमदाबाद से करीबन 62 किमी की दुरी पर धोलका तहसील में बसा है | यहाँ गणपति दादा का अलौकिक मंदिर है |लाखो श्रद्धालु यहाँ आते है और बापा के दिव्य दर्शन करके पावन होते है |यहाँ हम आपको गणपतिपूरा मंदिर के बारे में कुछ माहिती बताएँगे |


लोकेशन : कोठ गाव, अहमदाबाद से करीबन 62 किमी
स्थापना वर्ष : 2008
संचालित : गणपति महाराज ट्रस्ट
प्रवेश : फ्री
मुख्य आकर्षण : गणपति दादा की आह्लादक मूर्ति ,और मंदिर का मुख्य द्वार
फोटोग्राफी : मंदिर के अन्दर मना
मुलाकात के लिए समय : करीबन 1  घंटा 
मुलाकात के लिए सही समय : हर महीने की संकष्टी चतुर्थी 
मंदिर के उत्सव : गणेश उत्सव क्लिक करे
फोन नंबर : +91-9374003049
नजदीकी रेलवे स्टेशन : अरणेज रेल्वेस्टेशन (6 किमी )
नजदीकी हवाई अड्डा : अहमदाबाद हवाई अड्डा (67 किमी )


अहमदाबाद से करीबन 62 किमी की दुरी पर धोलका तहसील में बसा हुआ एक छोटा सा गाव जिसका नाम है कोठ आज स्वयंभू गणपति दादा के प्रगट्य से सारे भारत में मशहूर हो गया है | कोठ गाव में गणपति का मंदिर है इसी वजे से उसे गणेश पूरा और गणपति पूरा के नाम से जाना जाता है | यहाँ मंदिर में गणपति दादा की 6 फिट की स्वयंभू प्रतिमा के दर्शन होते है | यह प्रतिमा की विशेषता ये है की गणेशजी की सुंड बायनी और की है और एअकदंती प्रतिमा है | यह प्रतिमा पूर्वाभिमुख ,मंदिर के गेट से ही दिखाई देती है | मंदिर का प्रवेश कलात्मक और आकर्षक लाल पत्थरो में से बनाया गया है | गणपति बाप का सिंहाशन सोने में से बनाया गया है |सुबह शाम अलग अलग समय पर आरती और पूजा की जाती है |हर महीने हर महीने की संकष्टी चतुर्थी पर लाखो श्रद्धालु यहाँ बापा का दर्शन करने आते है | इस दिन यहाँ मंदिर ट्रस्ट द्वारा चाय पानी एवं नि:शुल्क भोजन की भी व्यवस्था की जाती है | मंदिर ट्रस्ट द्वारा गणपति बापा के प्रिय मोदक प्रसाद के रूप में दिए जाते है | इस दिन बाप्पा को 6000 किलो बूंदी के लाडू और 1500 किलो चूरमे के लाडू का भोग चढाया जाता है | मंदिर के गेट के बहार यहाँ की मशहुर केले के वेफर काफी लोग खरीद कर घर ले जाते है |

गणेश मंदिर गणपति पूरा का इतिहास 

प्राचीनकाल में कहा गया है की यहाँ पर विक्रम संवत 933 अषाढ़ महीने के वद पक्ष के चोथे दिन (अषाढ 4 ) रविवार का दिन था तब हाथेल की जमीं का केरडा के जाले के खोदकाम के वक्त गणेशजी की प्रतिमा पाव में सोने के पायल ,कान में कुंडल,माथे पे मुकुट ,और समग्र आभूषण के साथ प्रगट हुई थी |यह प्रतिमा को ले जाने के लिए आसपास के गाव वालो में झगडा हो गया | उसके बाद चमत्कार हुआ ,प्रतिमा को बैलगाड़ी में रखा गया फिर वो गाड़ी बिना बैल के अपने आप चलने लगी और गणपतिपूरा के ऊँचे भाग पर जाकर खड़ी रही | यह जगह दुदा भरवाड और गोकल की शक्तिमता की स्थापना की गई थी वहा जाकर प्रतिमा अपने आप नीचे आ गई |तबसे यहाँ का नाम गणपतिपूरा पड गया ,और यहाँ आज बड़ा सा गणपति बापा का मंदिर बना हुआ है |हर महीने की संकष्टी चतुर्थी पर यहाँ करीबन दो से ढाई लाख श्रद्धालु यहाँ आते है और लाखो रुपये का दान करते है |हर एक की मनोकामना बाप्पा पूरी करता है | गणपतपूरा के सामने ही अरणेज में मा बुटभवानी का भी मंदिर है , जो इनका भी दर्शन करके जाना |

गणेश मंदिर गणपति पूरा आरती एवं दर्शन के समय 

दर्शन के लिए समय : 5:30 AM to 8:30 PM
आरती का समय : सुबह 5:30  बजे , शाम :6 :00 बजे 
संकष्टी चतुर्थी दर्शन समय : सुबह 5:30  बजे से रात के  चन्द्रोदय तक 
संकष्टी चतुर्थी आरती समय : सुबह 5:30  बजे , शाम :6 :00 बजे , चन्द्रोदय  बाद 





 कैसे पहुचे गणेश मंदिर गणपतिपूरा (कोठ )


हवाई जहाज के जरीए :  यहाँ से नजदीकी हवाई अड्डा अहमदाबाद हवाई अड्डा पड़ता है जो करीबन 67 कीमी की दुरी पर है | वहा से आप टेक्सी और बस के जरिये यहाँ पहुच शकते है |

रेलवे के जरीए : यहाँ से नजदीकी रेलवे स्टेशन अरणेज स्टेशन करीबन 6 किमी की दुरी पर है |

बस के जरीए : अहमदाबाद से बहुत से सरकारी बसे और टेक्सी मिल शकती है और संकष्टी चतुर्थी के दिन भी बहुत सारी बस का इंतजाम किया जाता है |

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भारत देश संपूर्ण परिचय

 भारत देश विश्व का सबसे बड़ा लोकशाही देश है ।भारत देश को बिनसांप्रदायिक देश भी है । राजा 'भरत' के नाम से भारत देश का नाम भारत पड़ा । भारत को हिंदुस्तान भी कहा जाता है । यहाँ आपको भारत देश के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई है , हमें आशा है की आपको वह पसंद आएगा । 



प्राचीन नाम : आर्यावर्त, भरतभूमि , भरतखंड
अर्वाचीन नाम : भारत , इंडिया
भारत की राजधानी :  नई दिल्ली
विस्तार : करीबन ३२.९ लाख चो.किमी
जन संख्या : १ अरब २१ करोड़ (२०१५ )
राज्य : ३१
केंद्र शासित प्रदेश :
कुल जिले : ६४२
कुल गाँव : करीबन ६.४२ लाख
अक्षांशीय विस्तार : ८°४’उत्तरी अक्षांश से ३७ °६’ उत्तरी अक्षांश तक
देशान्तरीय विस्तार : ६८ °७’ पूर्वी देशांतर से ९७°२५’ पूर्वी देशांतर तक
भारत की सीमा : पूर्व में बर्मा ,पश्चिम में पाकिस्तान,उत्तर में हिमालय,दक्षिण में हिद महासागर
पूर्व से पश्चिम विस्तार : २९३३ कि.मी.
उत्तर से दक्षिण विस्तार : ३२१४ कि.मी.
भारत की स्थलीय सीमा कुल लम्बाई : १५२०० कि.मी.
स्वतंत्रता: १५ अगस्त १९४७ ( स्वतंत्रता दिवस )
प्रजासत्ताक (संविधान ): २६ जनवरी ,१९५०
राष्ट्रभाषा : हिंदी
राष्ट्रगीत : जन गण मन अधिनायक ....(रविन्द्रनाथ टागोर )
राष्ट्रद्व्ज: त्रिरंगा (केशरिया ,सफ़ेद ,हरा -बिच में अशोक चक्र )
राष्ट्रप्रतिक : चार शेर (त्रिमूर्ति )
राष्ट्रीय आदर्श शब्द : सत्यमेव जयते
राष्ट्रीय फल : आम
राष्ट्रीय फूल : कमल
राष्ट्रीय खेल : हॉकी
भारत की कुल भाषाएँ : लगभग १९५२



भारत देश के प्रमुख तीर्थ स्थान  




भारत में अनेक तीर्थ स्थान है और वो सरे जहा में मशहूर है ।भरा के प्रमुख तीर्थ स्थानों के बारे में दिशाओ के अनुशार चार विभाग बनते है ,उत्तर ,दक्षिण,पूर्व ,पश्चीम ।निचे सभी के विभागीय नाम है ।

उत्तर भारत : उत्तर भारत में तीर्थ धाम थोड़े कम है ।जिसमे प्रमुख हरिद्वार , ऋषिकेश ,बद्रीनाथ ,केदारनाथ ,कैलाश पर्वत ,हिमालय ,प्रयाग,अमरनाथ बाबा,उज्जैन ,बनारस ,चित्रकूट ,गोकुल,मथुरा,वृन्दावन, ताजमहल  

दक्षिण भारत : दक्षिण भारत में पुराने और  ऐतिहासिक इमारते, तीर्थ स्थान बहुत अच्छी कला का आज भी जग मशहूर है दक्षिण के तीर्थ स्थानों में प्रमुख रामेश्वरम,धनुकोष्ठी ,त्र्यंबक,महाबलीपुरम,हलेबिड ,हसन ,बेलूर,गोमतेश्वर ,मदुराई ,त्रिवेंद्रम ,पद्मनाभ स्वामी मंदिर  का शमाविष्ट होता है ।

पूर्व भारत : पूर्व भारत में प्रमुख जगन्नाथ पूरी ,भुवनेश्वर ,बुद्धगया,खजुराहो  की गणना होती है  ।

पश्चिम भारत : पश्चिम भारत में प्रमुख द्वारका ,सोमनाथ ,पावागढ़ ,डाकोर,अम्बाजी ,नाथद्वारा ,कांकरोली ,केशरियाजी मशहूर ही  ।



भारत देश में सबसे अधिक मशहूर 


तीर्थ स्थल :-धर्मो के अनुसार 



हिन्दू:प्रयागकाशी ,गया,(तिन यात्राधाम)बद्रीनाथ ,द्वारका ,जगन्नाथपुरी ,रामेश्वर,(चार यात्राधाम ),सोमनाथ,तिरुपति,केदारनाथ,अमरनाथ,द्वादश ज्योतिर्लिंग 
जैन : समेतशिखर (बिहार ), पलिताना (गुजरात),श्रवण ,बेलगोडा ।
बौद्ध : लुन्गिनी देवी (जन्मस्थान )बुद्धगया (बुद्ध पद ),सारनाथ (प्रथम उपदेश ),कुशिनारा (पारी निर्वाण ),कपिलवस्तु ,वैशाली,राजगिरी ,श्रावस्ती  ।
मुस्लिम : अजमेर ,हाजीमंगल,(मलंग गढ़ , जिल्ला : थाना )
शिख : अमृतसर ,आनंदपुर ,पटना ,नादेड (चार तख़्त )
ख्रिस्ती : वैलंगानी, मद्रास के पास मौलापुर (संत टोमसकी समाधी),गोवा का दो जीसस केथेड्रल 
पारसी : उदवाडा 

सबसे बड़ी नदिया : गंगा (सबसे लम्बी नदी -२६५५ किमी ),यमुना ,चम्बल,ब्रह्मपुत्रा ,महि,गोदावरी ,कृष्णा,कावेरी,नर्मदा,तापी ,बियास,सतलज,तुंगभद्रा,गोमती,कोसी,शोण,शरावती ,पूर्णा,रामगंगा ,दामोदर, गंडक  

प्रमुख बन्दरगाह : मुंबई ,मर्मगोवा ,मेंग्लोरम ,कोचीन ,कंडला,कलकत्ता,विशाखाटनम,न्हवाशिवा,पारादीप ,तूतीकोरिन 

अखात : खंभात का अखात ,मनोर अखात,कच्छ अखात 

सरोवर : कुदरती : वुलर,डाल(कश्मीर ),केलेरू (आंध्र प्रदेश),चिलका (उड़ीसा),पुलीकट (तमिलनाडु),ढेबर,पुष्कर,सांभर (राजस्थान),नल सरोवर (गुजरात),ब्रह्म (हरियाणा )
 कृत्रिम सरोवर : गोविंद सागर (भाकरा ),गाँधीसागर( चंबल ),नागार्जुन सागर (कृष्णा ),कृष्ण राजसागर(कवेरी),निझामसागर (गोदावरी),सरदार सरोवर (नर्मदा)

ऊँचे पर्वत : हिमालय ,विन्द्याचल ,अरवल्ली ,सातपुडा, काराकोरम ,पश्चिमघाट, आबू ,गिरनार ,गारो ,खासी, जेतीया,पतकोई,लुसाइ,महादेव,मैकल,पूर्वघाट,श्रेतुंजो । 

हिलस्टेशन : महाबलेश्वर ,माथेरान ,पंचगिनी(महाराष्ट्र),मसुरी,नैनिताल (उत्तर प्रदेश ),कोड़ाइकेनाल,उटाकामल (उटी) (तमिलनाडू ),सिमला ,कुलु-मनाली (हिमाचल प्रदेश),श्री नगर ,गुलमर्ग,पहेलगाव (कश्मीर),शिलोंग (मेघालय),दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल ),आबू (राजस्थान)

बाग बगीचे : निशात बाग ,शालीमार गार्डन (श्रीनगर ),नेशनल पार्क ,हेगिंग गार्डन (मुंबई ),लाल बाग (बेंगलोर ),मुग़ल गार्डन (दिल्ही ),बोटनिकल गार्डन (कलकत्ता),आल्फ्रेड पार्क (इलाहाबाद),वुन्दावन गार्डन (मैसूर),छत्री बाग (इंदोर), पिजोरा बाग ,रोक गार्डन (चंडीगढ़)

भारत के पवित्र मंदिर  


केदरनाथ -उत्तराखंड 
बद्रीनाथ - उत्तराखंड
अमरनाथ -कश्मीर
गाँधी स्मारक -कन्याकुमारी 
सोमनाथ मंदिर - गुजरात 
कमल (लोटस) मंदिर -नई दिल्ही 
काशी विश्वनाथ -वाराणसी 
नंदी मंदिर : कर्नाटक 
बौध मंदिर : गया 
मिनाक्षी मंदिर : मदुराई 
बेलूर मठ -कलकत्ता 
अक्षरधाम -गांधीनगर 
अक्षरधाम -दिल्ही 
साइबाबा मंदिर -शिर्डी 
वैष्णो देवी -जम्मू 
हर की पौड़ी -हरीद्वार 
खजुराहो मंदिर -मध्यप्रदेश 
महाबलीपुरम -तामिलनाडू 
जगन्नाथ मंदिर -पूरी 
गंगोत्री मंदिर -उत्तराखंड 
बिरला मंदिर -नई दिल्ही 
सूर्य मंदिर-कोणार्क 
सारनाथ मंदिर -उत्तरप्रदेश 
भुक्तेश्वर मंदिर -भुवनेश्वर 
शंकराचार्य मंदिर -कश्मीर 
बिरला मंदिर -जयपुर 
रोक मंदिर -तमिलनाडु 
कामाख्या मंदिर -आसाम 
मुक्तिधाम -नाशिक 



भारत की ऐतिहासिक इमारते 


सुवर्ण मंदिर : अमृतसर 
गुरुद्वारा सीस गंज -नई दिल्ही 
दुर्गियाना मंदिर- अमृतसर 
संसद भवन -नई दिल्ही 
केंद्रीय सचिवालय -नई दिल्ही 
जामा मस्जिद -नई दिल्ही 
लाल किल्ला -नई दिल्ही 
गेट वे ऑफ़ इंडिया -मुम्बई 
इंडिया गेट -नई दिल्ही 
जंतर-मंतर-नई दिल्ही 
हवा महल -जयपुर 
ताजमहल -आगरा 
कुतुबमीनार -नई दिल्ही 
गोल्डन ब्रिज -भरूच 
हवरा ब्रिज -कलकत्ता 
विजय स्तंभ -चित्तोड़गढ़ 
चार मीनार -हैदराबाद 
हुमायु मकबरा -नई दिल्ही 
साची स्तूप -मध्यप्रदेश 
राजघाट- दिल्ही  
शांतिवन - दिल्ही 
विजयघाट -दिल्ही 

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विश्व में पहेचाना जाता है भारत देश अपनी भारतीय संस्कृति के लिए जानिए

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है जो लगभग ५००० हजार वर्ष पुरानी है। विश्व की पहली और महान संस्कृति के रुप में भारतीय संस्कृति को माना जाता है | पुरे विश्व में भारत देश अपनी संस्कृति के लिए पहचाना जाता है | भारतीय संस्कृति को विश्व की सभी संस्कृतियो की जननी कहा जाता है |भारतीय संस्कृति में पहेले धर्मं की संस्कृति को जाना जाता है | भारत देश बिनसांप्रदायिक देश है| इस देश की सबसे बड़ी संस्कृती में ये बात आती है | बिनसांप्रदायिक का अर्थ होता है सभी धर्मं के लोग को रहेने का अधिकार और कोई भी धर्मं अपनाने का अधिकार |भारत देश में हिन्दू,मुस्लिम,शिख,पारशी,इसाई, जैन सभी धर्मो के लोग हिल मिल कर रहेते है और एक दुशरे से कदम से कदम मिलकर चलते है |भारत देश में बड़े बड़े संत महात्मा और रिशिमुनियो, ने हमें धर्मं ग्रन्थ, वेद, उपनिषद, पूरण,श्रीमद भगवद जैस धर्मं ग्रन्थ, और सभी धर्मो के धर्मं ग्रन्थ की बहुत ही बड़ी भेट दी है , जिससे हमें अच्छे और सरल जीवन जीने के तरीके सिख सखते है |



भारत देश पर मुघलो , अंग्रेजो ,राजपूतो जैसे अनेको ने राज किया और उन्होंने ऐसे ऐसे इमारतों और ग्रंथो की रचना की की आधुनिक समय में हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते | उससे पहले कहा जाता है की सतयुग में भगवान ने भी इस भारत देश की धरती पर अवतार लिए है | किसी भी देश की संस्कृति में ऐसी बात नहीं लिखी होती जो भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा है | इस देश में श्रीराम,श्री कृष्ण,संत कबीर,महमद साहेब पयगम्बर, गुरु गोविंद ,शंकर पार्वती ,अल्लाह, प्रभु इशु, जैसे भगवन को पूंजा जाता है | भारत देश सम्राट अशोक, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप,रानी लक्ष्मी बाई,पन्ना धाइ , सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे वीर की भूमि है | स्वामी विवेकानंद ,राज राम मोहनराइ ,महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु, जैसे देश सेवको ने इस देश की संस्कृति को बचाने के लिए अपने प्राण तक दाव पर लगा दिए | 

भारतीय संस्कृति आज भी हमें धर्म का ज्ञान,रीती रिवाजो,जीवन जीने के निजी तरीके,मान सन्मान,त्याग,बलिदान, हिलमिल कर रहना , सत्य , अहिंसा, जरूरत मंदों कि मदद करना जैसे मूल्यों को सिखाती है | आज भी सरे विश्वके लोगो ने भारतीय संस्कृति को अपनाया है |भारतीय संस्कृति में स्त्री को बहुत मन सन्मान दिया जाता है और घर की इज्जत माना जाता है | हिन्दू धर्म में गृह लक्ष्मी माना जाता है | भारत में दिन सूर्य नमस्कार के साथ शुरु होता है | इसमें लोग सूर्य को जल चढ़ाते हैं और मंत्र पढ़कर प्रार्थना करते हैं | भारतीय लोग प्रकृति की पूजा करते हैं और यह इस संस्कृति की अनूठी बात है| हिंदू धर्म में पेड़ों और जानवरों को भगवान की तरह पूजा जाता है | लोग भगवान में विश्वास रखते हैं और कई त्यौहारों पर उपवास रखते हैं| वे सुबह का ताज़ा खाना गाय को और रात का आखिरी खाना कुत्ते को देते हैं | दुनिया में कहीं भी इस तरह की उदारता नहीं देखी जाती |


हमारे राष्ट्र की ये महान संस्कृति है कि हम बहुत खुशी के साथ अपने घर आये मेहमानों की सेवा करते है क्योंकि मेहमान भगवान का रुप होता है इसी वजह से भारत में “अतिथि देवो भव:” का कथन बेहद प्रसिद्ध है| हमारी संस्कृति की मूल जड़ इंसानियत और आध्यात्मिक कार्य है| भारत देश के लोग अपने उत्सव जैसे की दिपावली , होली,रक्षाबंधन, नवरात्री,दशहरा,जन्माष्टमी,नाताल, ईद-ए-मिलाद , पतेती, बैसाखी जैसे त्यौहार धामधूम से मनाये जाते है , और भारतीय संस्कृति का डंका सारे विश्व में बजाते है | भारत देश के लोक मेले तो भारतीय संस्कृति का एक अहम् हिस्सा है |भारतीय शास्त्रीय नृत्य, जैसे भरतनाट्यम, कथकली, कत्थक, मणिपुरी, ओडिसी और कुचिपुड़ी मुख्य तौर पर नाट्य शास्त्र, पुराण और शास्त्रीय साहित्य और रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों के संकेतों का पालन करना भारतीय संस्कृति का एक आयना सारे विश्व के सामने है |भरता के कारीगरो की कला कारीगरी के उदहारण के रूप में ताजमहल, लाल किल्ला, कुतुबमीनार ,सोमनाथ मंदिर,पद्मनाभ स्वामी मंदिर,चर्च ,गिरजाघर जैसी कलात्मक इमारते पुराने समय से भारतीय संस्कृति का प्रचार कई सालो से पुरे विश्व में कर रहे है और एक अद्भुत कलात्मक कारीगरी का जीता जागता उदहारण है |

भारतीय संस्कृति हमें बहुत ही सिकहती है | आज नयी पीढ़िया हमारी संस्कृति को भुलाकर दुशरे देश की संस्कृत अपनाने जा रही है पर सचमे भारतीय संस्कृति को बहार के देश और लोग भी अपना रहे है , तो हम भारतीय है , तो अपनी संस्कृति को कभी भूलना नहीं चाहए ,बल्कि सरे विश्व में इसका प्रचार करना चाहए |

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