Official Website by Vipul Prajapati Job,Education,Sports,Festivals,General Knowledge and all types of information Website


Join Our Whatsapp Group to Get Latest Updates... :Click Here
Join Our Facebook Page to Get Latest Updates... : Click Here

Join Our Telegram Group to Get Latest Updates... : Click Here

Search This Website

Sunday, 31 August 2025

सुदामा का बलिदान और कृष्ण की लीला

 जैसे ही द्वारकाधीश ने तीसरी मुट्ठी चावल उठा कर फाँक लगानी चाही, रुक्मिणी ने जल्दी से उनका हाथ पकड़ कर कहा, " क्या भाभी के लाये इन स्वादिष्ट चावलों के स्वाद का सारा सुख अकेले ही उठाएंगे स्वामी? हमें भी तो ये सुख उठाने का अवसर दीजिये।"

द्वारकधीश के अधरों पर एक अर्थपूर्ण स्मित उपस्थित हो गयी। उन्होंने चावल वापस उसी पोटली में डाले और उसे उठाकर अपनी पटरानी को दे दिया।

सुदामा के साथ बातें करते हुए कब कृष्ण उनके पाँव दबाने लगे ये सुदामा को पता ही नही चला। सुदामा सो चुके थे किंतु कृष्ण अपनी ही सोंचों में मगन उनके पाँव दबाते हुए बचपन की बातें करते चले जा रहे थे, कि तभी रुक्मिणी ने उनके कंधे पर हाथ रखा।

कृष्ण ने चौंक कर पहले उन्हे देखा और फिर सुदामा को, फिर उनका आशय समझ कर वहाँ से उठ कर अपने कक्ष में चले आये।


कृष्ण की ऐसी मगन अवस्था देखकर रुक्मिणी ने पूछा, "स्वामी आज आपका व्यवहार बहुत ही विचित्र प्रतीत हो रहा है। आप, जो इस संसार के बड़े से बड़े सम्राट के द्वारका आने पर उनसे तनिक भी प्रभावित नही होते हैं, वो अपने मित्र के आगमन की सूचना पर इतने भावविव्हल हो गए कि भोजन छोड़कर नंगे पाँव उन्हे लेने के लिए भागते चले गए।

आप, जिनको कोई भी दुख, कष्ट या चुनौती कभी रुला नही पाई, यहाँ तक कि जो गोकुल छोड़ते समय मैया यशोदा के अश्रु  देखकर भी नही रोये, वे अपने मित्र के जीर्ण शीर्ण, घावों से भरे पाँवों को देखकर इतने भावुक हो गए कि अपने अश्रुओं से ही उनके पाँवों को धो दिया।

कूटनीति, राजनीति और ज्ञान के शिखर पुरुष आप, अपने मित्र को देखकर इतने मगन हो गए कि बिना कुछ भी विचार किये उन्हे समस्त त्रिलोक की संपदा एवं समृद्धि देने जा रहे थे।"

कृष्ण ने अपनी उसी आमोदित अवस्था में कहा, "वह मेरे बालपन का मित्र है रुक्मिणी।"

"परंतु उन्होंने तो बचपन में आपसे छुपाकर वो चने भी खाये थे जो गुरुमाता ने उन्हे आपसे बाँटकर खाने को कहे थे? अब ऐसे मित्र के लिए इतनी भावुकता क्यों?", सत्यभामा ने भी अपनी जिज्ञासा रखी।

कृष्ण मुस्कुराये, " सुदामा ने तो वह कार्य किया है सत्यभामा, कि समस्त सृष्टि को उसका आभार मानना चाहिए। वो चने उसने इसलिए नहीं खाये थे कि उसे भूँख लगी थी बल्कि उसने इसलिए खाये थे क्योंकि वो नही चाहता था कि उसका मित्र कृष्ण दरिद्रता देखे। उसे ज्ञात था कि वे चने आश्रम में चोर छोड़कर गए थे, और उसे यह भी ज्ञात था कि उन चोरों ने वे चने  एक ब्राह्मणी के गृह से चुराए थे। उसे यह भी ज्ञात था कि उस ब्राह्मणी ने यह श्राप दिया था कि जो भी उन चनों को खायेगा, वह जीवन पर्यंत दरिद्र ही रहेगा। सुदामा ने वे चने इसलिए मुझसे छुपा कर खाये ताकि मैं सुखी रहूँ। वो मुझसे ईश्वर का कोई अंश समझता था, तो उसने वे चने इसलिए खाये क्योंकि उसे लगा कि यदि ईश्वर ही दरिद्र हो जायेगा तो संपूर्ण सृष्टि ही दरिद्र हो जायेगी। सुदामा ने संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए स्वय का दरिद्र होना स्वीकार किया।"

"इतना बड़ा त्याग!", रुक्मिणी के मुख से स्वतः ही निकला।

"मेरा मित्र ब्राह्मण है रुक्मिणी, और ब्राह्मण ज्ञानी और त्यागी ही होते हैं। उनमें जनकल्याण की भावना कूट कूट कर भरी होती है। इक्का दुक्का अपवादों को यदि छोड़ दिया जाए तो ब्राह्मण ऐसे ही होते हैं।

अब तुम ही बताओ ऐसे मित्र के लिए ह्रदय में प्रेम नही तो फिर क्या उत्पन्न होगा प्रिये? गोकुल छोड़ते हुए मैं इसलिए नही रोया था क्योंकि यदि मैं रोता तो मेरी मैया तो प्राण ही छोड़ देती। परंतु मेरे मित्र के ऐसे पाँव देखकर, उनमें ऐसे घावों को देखकर मेरा ह्रदय भर आया रुक्मिणी। उसके पाँवों में ऐसे घाव और जीवन में उसकी ऐसी दशा मात्र इसलिए हुई क्योंकि वह अपने इस मित्र का भला चाहता था।

पता है रुक्मिणी, परिवार को छोड़कर किसी और ने कभी इस कृष्ण का इतना भला नही चाहा। लोग बाग तो मुझसे उनका भला करने की अपेक्षा रखते हैं। बस सुदामा जैसे मित्र ही होते हैं जो अपने मित्र के सुख के लिए स्वेच्छा से दरिद्रता एवं कष्ट का आवरण ओढ़ लेते हैं।

ऐसे मित्र दुर्लभ होते हैं और न जाने किन पुण्यों के फलस्वरूप मिलते हैं। अब ऐसे मित्र को यदि त्रिलोक की समस्त संपदा भी दे दी जाए तो भी कम होगा।", कृष्ण अपने भावुकता से भर्राये हुए स्वर में बोले।

इधर कक्ष में समस्त रानियों के नेत्र सजल थे और उधर कक्ष के बाहर खड़े सुदामा के नेत्रों से गंगा यमुना बह रही थीं।


To Get Fast Updates Download our Apps:Android||Telegram

Stay connected with us for latest updates

Important: Please always Check and Confirm the above details with the official website and Advertisement / Notification.

To Get Fast Updates Download our Apps:Android|iOS|Telegram

Stay connected with us for latest updates

Important: Please always Check and Confirm the above details with the official website and Advertisement / Notification.

0 comments:

Weekly Popular Updates

Gujarati Recipe

Gujarati Recipe
Gujarati food recipe best idea
html script

Popular Posts

Catagerios

Our Followers

Any Problem Or Suggestion Please Submit Here

Name

Email *

Message *