इंद्र के वज्र प्रहार से जहां गिरे थे बाल हनुमान, उस मंदिर का नाम है श्री पंचमुखी हनुमान
पंचमुखी हनुमान मंदिर में हर मनोकामना होती है पूरी, इंद्र का है ये नाता… धर्मनगरी हरिद्वार में प्राचीन मंदिरों का खजाना भरा हुआ है। यहां देशी ही नहीं विदेशी भी शीश नवाने आते हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के बीचों-बीच श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर में साल भर सैलानियों और दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। वहीं इस मंदिर की महिमा पुराणों में भी मिलती है। देवभूमि के कण-कण में देवताओं का वास और पग-पग पर देवालयों की भरमार है। इसलिए इसे देवताओं की जगह भी कहा जाता है।धर्मनगरी हरिद्वार में प्राचीन मंदिरों का खजाना भरा हुआ है, जहां देशी ही नहीं विदेशी भी शीश नवाने आते हैं। साथ ही श्रद्धालुओं को देवभूमि के आध्यात्म और प्रकृति से एकाकर होने का अवसर मिलता है। ऐसा ही यह एक हनुमान मंदिर राजाजी टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के बीचों-बीच स्थित है। यहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मान्यता है कि इनका नाम लेने से ही समस्याएं दूर होकर जीवन में खुशहाली का वास होता है।
जिस समय हनुमान जी ने सूर्य को फल समझकर निगल लिया था तो पूरी सृष्टि में हाहाकार मच गया था। उस समय भगवान इंद्र ने बाल हनुमान पर वज्र से आघात किया था, जिससे उनके मुंह से सूर्य देव निकल गए थे और वे मूर्छा खाकर हरिद्वार के जंगल में आकर गिर गए थे।इसी स्थान पर श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर है, जहां हनुमान जी की पिंडी रूप में पूजा होती है। हर की पैड़ी पर देश दुनिया से श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन करने आते हैं। इस पौराणिक ब्रह्मकुंड से करीब एक किलोमीटर अंदर जंगल के बीचों बीच स्थित पौराणिक श्री पंचमुखी हनुमान का मंदिर है। करीब चार सौ साल पहले इस स्थान पर आए एक हनुमान भक्त परिवार ने श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर की स्थापना की, जहां शीश नवाने हर साल दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। वैसे तो पुराणों में इस स्थान का विशेष महत्व है किंतु इस मंदिर की पूजा करते हुए एक परिवार को चार सौ साल से अधिक का समय हो गया है। इस परिवार की इस समय छठी पीढ़ी मंदिर की सेवा में है। इस स्थान की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सन 1981 से पहले बिल्व पर्वत माला पर ढाईकोसी पैदल परिक्रमा होती थी। हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु पहले मनसा देवी, सूरज कुंड होते हुए ढाई कोस की परिक्रमा को इसी श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर पर समाप्त करते थे। ट्रॉली चलने और फिर राजाजी टाइगर रिजर्व बनने के बाद अब यह कोसी परिक्रमा समाप्त हो गई है।
हनुमान के इस धाम की महत्ता इतनी है कि जंगल से घिरा होने के उपरांत भी इस मंदिर में जंगली जानवर प्रवेश नहीं करते हैं। यद्यपि इस मंदिर की सीमा के बाहर हाथी, गुलदार घूमते नजर आ जाते हैं। हनुमान जी के इस मंदिर में शिवरात्रि के दौरान चार प्रहर की विशेष पूजा होती है जिसमें काफी लोग भाग लेते हैं। वैसे तो इस प्राचीन मंदिर में लगभग रोज और विशेष रूप से मंगलवार को भक्त आते हैं, किंतु साल की शुरुआत में पहले मंगलवार को बड़ा भंडारा किया जाता है जिसमें पूरे शहर से लोग पहुंचते हैं।
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