काली माता मंदिर कालीबाड़ी आग्रा उत्तर प्रदेश
रहस्यमयी मंदिर:-कलीबाड़ी में बना मां काली का रहस्यमय मंदिर जिसके घट से कभी पानी नही होता खत्म!
कालीबाड़ी का मंदिर बहुत ही रहस्यमई है इस मंदिर की स्थापना के वक्त एक घट मिला था और उस घट में आज भी पानी भरा हुआ है.उसकी विशेषता है कि उस घाट के पानी में कोई कमी नहीं आई है और ना ही उस पानी में कभी कीड़े पड़ते हैं |
आगरा के कालीबाड़ी में काली माता का 200 साल से भी ज्यादा पुराना प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह आगरा में बंगालियों के द्वारा स्थापित किया गया एकमात्र मंदिर है. इस रहस्यमयी मंदिर के साथ कई चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई है. यहां के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर की स्थापना के वक्त एक घट मिला था और उस घट में आज भी पानी भरा हुआ है.उसकी विशेषता है कि उस घाट के पानी में कोई कमी नहीं आई है और ना ही उस पानी में कभी कीड़े पड़ते हैं|
200 साल से पुराना है रहस्यमय कालीबाड़ी का काली मंदिरकालीबाड़ी मंदिर की स्थापना के बारे में डॉ.एके भट्टाचार्य जो कि पेशे से ईएनटी सर्जन है वे बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण उनके पूर्वजों ने लगभग सन 1800 के आसपास करवाया था. ये मंदिर 200 साल से भी ज्यादा पुराना है. इसके साथ ही इस मंदिर में कई ऐसे चमत्कार हुए हैं. जिसकी वजह से मंदिर आज भी रहस्यमई है. A K भट्टाचार्य बताते हैं कि उनके पूर्वज स्वर्गीय द्वारकानाथ भट्टाचार्य जो उस समय बंगाल में रहते थे.बंगाल में प्लेग की भयंकर बीमारी फैली थी और उसके बाद वे आगरा यमुना के किनारे आकर रहने लगे.वहां पर भी उस समय एक मंदिर था. जिसे अंग्रेजों ने तुड़वा दिया. उसके बाद से द्वारकानाथ यहां कालीबड़ी चले आये. जिस जगह पर काली का मंदिर है वहां रहने लगे. मां काली ने सपने में आकर द्वारका नाथ को अपने यमुना किनारे होने का एहसास कराया और उसके बाद मां की मूर्ति और उस घट को अपने साथ लेकर आए जो मंदिर में आज भी मौजूद है|
काली के मंदिर में ऐसा रहस्यमयी घट जिसमें से कभी पानी नहीं होता ख़त्मडॉ देवाशीष भट्टाचार्य बताते हैं कि माता के मंदिर में वही 200 साल पुराना घट स्थापित है, जिसे उनके पूर्वज यमुना के किनारे से लेकर आए थे. उसकी विशेषता है उसमें से पानी कभी कम नहीं होता, ना ही पानी कभी सूखता और उस पानी में आज तक कीड़े नहीं पड़े है. उस पानी का उपयोग रोजाना चिन्ना मृत के रूप में किया जाता है. भक्तों की बड़ी मान्यता है. लोग बड़ी दूर से माता रानी के मंदिर में माथा टेकने के लिए आते हैं और अपनी मुरादे मांगते हैं. माता रानी हर भक्तों की मुराद को पूरा करती है|
पुराने समय में बकरे की दी जाती है बली, अब बकरे की जगह पेठे की दी जाती है बलि मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर में पुराने समय में मां काली के सामने बकरे की बलि दी जाती थी .लेकिन लोगों की आपत्ति और उनकी भावनाओं को देखते हुए बकरे की बलि को समाप्त कर दिया गया है. अब बकरे की जगह है यहां पेठे की बलि दी जाती है. इसके साथ ही अगर कोई भक्त सात शनिवार सच्चे मन से यहां शीश झुकाता है तो काली मां उस भक्तों के ऊपर से शनि की बुरी दशा हमेशा के लिए समाप्त कर देती है. यह बेहद रहस्यमय और चमत्कारी मंदिर है. जिसके दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में हर साल भक्त आते हैं|
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